टेलीविजन की मशहूर “तुलसी” से लेकर राजनीति तक, स्मृति ईरानी ने अपने जीवन में कई मुश्किलों का सामना किया है। हाल ही में, उन्होंने अपने बचपन के सबसे दर्दनाक पल को साझा किया – जब वह सिर्फ 7 साल की थीं, तब उनकी माँ को सिर्फ इसलिए घर से निकाल दिया गया क्योंकि वह बेटे को जन्म नहीं दे पाई थीं।

करण जौहर के शो में खोला दिल
अपनी आगामी वेब श्रृंखला “क्योंकि सास भी कभी बहू थी” के प्रचार के दौरान, स्मृति ईरानी ने करण जौहर के शो ‘मोजो’ में अपने जीवन के “अग्निपथ मोमेंट” के बारे में बताया। उन्होंने कहा,
“मैं उन बच्चों में से हूँ जिन्हें बचपन में समान अवसर नहीं मिला। अग्निपथ फिल्म की तरह, जहाँ एक बेटा अपनी माँ के लिए लड़ता है, मैंने भी वैसा ही महसूस किया। मेरी माँ को तब घर से निकाल दिया गया जब मैं सिर्फ 7 साल की थी… सिर्फ इसलिए क्योंकि उनका बेटा नहीं था।”
“मैं अपनी माँ को वापस लाना चाहती थी”
स्मृति ने बताया कि यह वह पल था जब उन्होंने खुद को मजबूत बनाने का फैसला किया:
- उनकी माँ को परिवार द्वारा त्याग दिया गया क्योंकि वह बेटे को जन्म नहीं दे पाई थीं।
- इस घटना ने छोटी सी स्मृति को गहरा झटका दिया, और उन्होंने अपनी माँ के लिए लड़ने की ठानी।
- आज वह न सिर्फ एक सफल अभिनेत्री और राजनीतिज्ञ हैं, बल्कि महिला सशक्तिकरण की मिसाल भी बन चुकी हैं।
कैसे शुरू हुआ करियर?
- स्मृति ने 1998 में सीरियल ‘आतिश’ से अपने करियर की शुरुआत की।
- 2000 में ‘क्योंकि सास भी कभी बहू थी’ के बाद वह रातों-रात स्टार बन गईं।
- आज वह भाजपा की प्रमुख नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री हैं।
स्मृति ईरानी की कहानी संघर्ष, हिम्मत और सफलता की मिसाल है। उनका जीवन उन लाखों लड़कियों के लिए प्रेरणा है जो लैंगिक भेदभाव का सामना करती हैं। आज वह न सिर्फ एक सशक्त महिला हैं, बल्कि समाज को बदलने की मिसाल भी बन चुकी हैं।